Суперблиц№252: "Сегодня удивительное утро, Не можется,не хочется,не спится!"
13 апреля 2022 -
Марта Шаула
Рейтинг: +21
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Комментарии (47)
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Как красиво!Спасибо!!!!!!!
ЗА КРАСИВЫЕ ,РОМАНТИЧЕСКИЕ СТИХИ О ВЕСНЕ!!
















